Author is not an alien

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I write because we had deleted enough

Wednesday, March 25, 2015

मेरी हवा , मेरा ताजमहल

यह शुरू करने से पहले मैं  बता देना चाहती हूँ कि यह कविता नुमा पोस्ट मैंने लिखा क्यूँ. अबू धाबी की यात्रा के दौरान एक वर्ल्ड क्लास शहर देख कर मैं आश्चर्यचकित थी.विकास सरपट दौड़ रहा था उस रेगिस्तान में ,पर फिर मैंने देखा कि प्रोग्रेसिव होते हुए भी महिलाओं के परिवेश को लेकर वह आज भी वही पुराना शहर है.


"करीने से सजे रास्तों के बीच 
मैने देखा ताजमहल जैसा कुछ 
ताजमहल जैसा पर ताजमहल नहीं 
सीना ताने, गर्व से उनमुक्त 
ना धूल थी, ना था कोई शोर 
ना वहां कोई मिनी ताजमहल बेच रहा था
ना कोई दीवारों पर "राजीव heart emoticon सुनीता "लिख रहा था
जब लगा कि बस यही है वह कल
जिसे अपने देश के हर बीते आज में देखा था
तभी पीछे से किसी ने टोका, बार बार टोका
"सर पर से दुपट्टा गिरना नहीं है
बालों को हवा में उड़ना नहीं है "
वो कल हँस रहा था मेरे आज पर
दुपट्टा संभाले, बालों को ढकते देखा मैंने
ना वह ताजमहल जैसा दिखता था
ना ही वह ताजमहल था"



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